बदहाल चिकित्सालय

बदहाल चिकित्सालय
उमाशंकर दीक्षित भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पुरोधा एवं मानवता के पुजारी और राष्ट्रवाद के अग्रदूत थे। उन्होंने भारत में उन्नाव के नाम का गौरव बढ़ाया। उमाशंकर दीक्षित ने केंद्रीय गृहमंत्री व राज्यपाल जैसे महत्त्वपूर्ण पदों पर रहकर स्वयं के हित लाभ को त्याग कर राष्ट्र की सच्ची सेवा की और उसके लिए सदैव समर्पित रहे। तमाम व्यस्तता के बाद भी वे लोगों से परिवार की तरह मिलते थे। वे कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे थे। उनके नाम से जिले का एक मात्र चिकित्सालय बनाया गया।  लेकिन उनके नाम को बदनाम कर रहे है यहां के अधिकारीगण।
उन्नाव उमाशंकर दीक्षित संयुक्त चिकित्सालय अपनी बदहाल स्थिति के लिए आंसू बहा रहा है। जिला अस्पताल में न तो महत्वपूर्ण जीवन रक्षक दवाइयां है और ना ही एंटी रेबीज वैक्सीन है। दवाइयों की सूची पर गौर किया जाए तो गिनी-चुनी आधा दर्जन दवाइयां ही जिला अस्पताल में उपलब्ध है। जिनसे जनपद के दूरदराज ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों का उपचार किया जा रहा है। लेकिन चिकित्सालय में कमीशन के चलते बहुत से विभाग बनाये गये। लेकिन वह २५ साल बीत जाने के बाद भी चालू न हो सके। जैसे हृदय रोग संस्थान, केवल मात्र केवल एक डॉक्टर है जबकि छ: बेड का यह संस्थान बना था। वह भी बंद पड़ा है। १० प्राइवेट रूम भी बंद पड़े है। सिटी स्केन मशीन उद्घाटन के बाद से चालू न हो सकी। यही हाल ट्रामा सेण्टर का है। और बर्न वार्ड भी बनकर तैयार होने के बाद चालू न हो सका। केवल डॉक्टरों को इधर-उधर बैठाकर मरीजों को पूरे चिकित्सालय में दौड़ाया जाता है। मरीज को पूरे हास्पिटल का एक चक्कर लगाना पड़ता है। जिले का एक मात्र चिकित्सालय है। यहां की व्यवस्थायें पूरी तरीके से नाम की है। डॉक्टर आवास न होने के कारण डॉक्टर दूसरे जनपदों से आते है जिससे भागदौड़ ज्यादा होती है, इसमें सफ र मरीज ही करता है। कम से कम डॉक्टरों के ३० आवास होने चाहिये। जिससे उन्नाव की व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके। प्रधानमंत्री के जन सेवा केन्द्र से दवाईयां सस्ती मिल जाती है लेकिन इलाज के लिये डॉक्टरों के पास भटकना पड़ता है।
 लोकल पर्चेज के आधार पर मरीजों को दवाइयां दी जा रही है, लेकिन यह लोकल पर्चेज किन के लिए किया जा रहा है यह कोई बताने को तैयार नहीं है। जिला अस्पताल की स्थिति यह है कि मुख्य चिकित्सा अधीक्षक अपने कक्ष में नहीं बैठते हैं।
वर्तमान मुख्य चिकित्सा अधीक्षक पुरुष व महिला विभाग का पद डॉक्टर दंपति को मिला है। जो जिला अस्पताल में कई दशकों तक अपनी सेवाएं दे चुके हैं और लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर इनका एक भव्य शिखा के नाम से नर्सिंग होम भी संचालित था। विवादों में आने के बाद फिलहाल या नर्सिंग होम को बंद कर दिया गया था। लेकिन नर्सिंग होम में कार्यरत एक कर्मचारी की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के कार्यालय में अंदर तक पैठ है और लोकल पर्चेजिंग में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। दवाईयों के अभाव के संबंध में बातचीत करने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में सीएमएस पुरुष विभाग से बातचीत हुई है शीघ्र ही दवाइयां उपलब्ध हो जाएंगे।