उन्नाव जनपद में डॉक्टरों के साथ कई बार मारपीट हो गई जिसमें डॉक्टरों ने चिकित्सालय के अन्दर चौकी की मांग की थी। जिला प्रशासन ने काफ ी समय उसको मान लिया था और कई सालों से चिकित्सालय में चौकी भी स्थापित है। चौकी होने के बाद भी डॉक्टरों से मारपीट नहीं खत्म हुई। कहीं न कही कोई कमी जरूर है। जनता जहां आज भी डॉक्टरों को भगवान मानती है। बहुत डॉक्टर ऐसे भी है जो हमेशा जनता की सेवा केलिये लगे रहते है। जैसे डॉ० आलोक पाण्डेय, डॉ० एस.के. पाण्डेय, डॉ० पवन कुमार, डॉ० धीरज सिंह ऐसे कई और डॉक्टर भी है जो जनता के भाव को समझते है और जनता की सेवा बराबर करते रहते है। वहीं पर कुछ ऐसे भी डॉक्टर है कि धन के लालच में अपना जमीर बेच देते हैं। उनकी शिकायत भी करो तो उन पर कोई असर नहीं पड़ता है। दबाव व माफ ी मांगकर वहीं गलती करते है ऐसे डॉक्टर सर्जन गुप्ता जी है। ऐसे डॉक्टरों के कारण जो जनता के प्रति लापरवाह रहते है उसी के चलते ऐसी घटना हो जाती है।
जिला प्रशासन व शासन के दबाव में न आकर जांच करनी चाहिये दोषियों को सजा मिलनी चाहिये। हमेशा एक पक्षीय कार्यवाही नहीं होनी चाहिये। डॉक्टरों के साथ हो यह किसी अन्य के साथ कानून कभी भी अपने हाथ में नहीं लेना चाहिये। इसकी सजा मिलनी चाहिये। लेकिन जांच कराकर दोषियों पर कार्यवाही होनी चाहिये। इमरजेंसी में ही अक्सर मारपीट की घटनायें सामने आती है। शनिवार रात मेडिकल कराने जिला अस्पताल पहुंचे युवकों ने ईएमओ (इमरजेंसी मेडिकल अफसर) से मारपीट की और उनको घायल किया। जिससे घटना से नाराज स्वास्थ्य कर्मियों ने इमरजेंसी सेवाएं ठप कर दीं। इस दौरान करीब दो घंटे से अधिक इमरजेंसी सेवा ठप रही। पीडि़त डॉक्टर की तहरीर पर पुलिस ने तीन नामजद सहित पांच युवकों पर रिपोर्ट दर्ज की है।
इमरजेंसी ब्लॉक में मारपीट और शोर-शराबा होने से भर्ती मरीजों में अफरातफरी मच गई। दहशत से सभी कांप उठे। कुछ तो बिस्तर छोड़ वार्ड से बाहर निकल गए। महिला स्वास्थ्यकर्मियों ने दहशत में कमरे के दरवाजे बंद कर लिए। अस्पताल चौकी प्रभारी रामजीत के पहुंचने के बाद सभी ने राहत की सांस ली। सीएमएस बीबी भट्ट सूचना पर इमरजेंसी ब्लॉक पहुंचे और मारपीट के शिकार हुए डॉ. आशीष का मेडिकल किया।
जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में मेडिकल आफिसर डा. आशीष सक्सेना से मारपीट के मामले में प्रांतीय सेवा चिकित्सा संवर्ग सोमवार को जिलाधिकारी से मुलाकात करेगा। संगठन के जिला अध्यक्ष डा. धीर सिंह ने कहा कि वह प्रशासन को कार्रवाई का समय देंगे। अगर तय समय में आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई तो वह आंदोलन करने को मजबूर होंगे। इसी प्रकार से मरीजों का कोई संगठन न होने के कारण मरीज दबाव नहीं बना पाते है। लेकिन न्याय होना चाहिये जांच होने के बाद ही पता चलेगा दोषी कौन हैं।
जिलाचिकित्सालय में मारपीट